Abhay Dhakate

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वक़्त की धारा -30-Aug-2023

वक़्त की धारा में, एक लम्हा बिताया बिना सोचे-समझे,उसे बस बहने दिया जीवन के रंगों में, वो रंग भरने दिया

दिल के सवालों को, खुद से जवाब पाया कभी हार न मानी,उसने खुद को जितने दिया आसमान की उचाइयों को, वो खुद पर छलने दिया

जब भी याद आएगा, वो पल बिताया जहां हँसी बिताई गई वो राह भी वही रहने दिया जिन्दगी के इस सफर में, उसे हमने खुद को पाया।

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